अकबर और बीरबल-डेढ़ हाथ रस्सी का कमाल
अकबर और बीरबल
डेढ़ हाथ रस्सी का कमाल
एक बार की बात है बादशाह अकबर के महल में दरबार लगा था। उनके सभी मंत्री
अपने आप को ज्यादा बुद्धिमान सिद्ध करने में लगे थे। तभी अकबर ने एक तरकीब
सोची और सभी मंत्रियों को एक डेढ़ हाथ की रस्सी दी और कहा कि इस रस्सी के
बदले आप सभी को दीनारें लाना है। जो सबसे ज्यादा दीनार लाएगा वो सबसे
ज्यादा बुद्धिमान होगा। बीरबल के अलावा सभी मंत्री सोचने लगे की इतनी रस्सी
के बदले कौन देगा दीनारें।लेकिन अब अपने आप को बुद्धिमान जो साबित करना था
सो चल दिया डेढ़ हाथ की रस्सी लेकर। बीरबल नगर के एक चौराहे पर पहुचें और
वहाँ बने महलों के सामने रस्सी से जगह मापने लगे। तभी वहाँ के लोगों ने
बीरबल से पूंछा की आप ये क्या कर रहें हैं उन्होँने जवाब दिया जितनी जगह हम
माप रहें उतनी जगह के सामने के महल टूटना है। नगर के लोग बोले ऐसा क्यों ?
तो बीरबल ने कहा ऐसा बादशाह अकबर का हुकुम है। तो नगर वालों ने घबरा कर कहा
ऐसा मत करो आप जो कहेंगे हम वो करने को तैयार हैं। पर हमारे महल मत तोड़ो।
बीरबल ने कहा अच्छा ठीक हैं। ये जो चादर पड़ी है इसमें जिसकी जितनी इच्छा हो
दीनारे डाल दे। जो दीनारे नहीं डालेगा उसका महल तोड दिया जायेगा। यह सुनकर
सभी ने खुशी खुशी उसमें दीनारें डाल दी। बीरबल ने सारी दीनारें बटोरी और
रस्सी लेकर चल दिया अकबर के दरवार में। अकबर ने देखा की बीरबल बहुत सारी
दीनारें और साथ में वो रस्सी भी लाये हैं। धीरे-धीरे और भी मंत्री आ गये लेकिन सारे के सारे
खाली हाथ थे। सभी चकित रह गये और बीरबल से पूँछा कि तुमने ये सब कैसे किया तब
बीरबल ने सारा किस्सा सुनाया। यह सुनकर बादशाह अकबर बहुत खुश हुये। और घोषणा
की कि बीरबल ही सबसे ज्यादा बुद्धिमान हैं।
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