अकबर और बीरबल-
बीरबल की खिचड़ी
एक बार बादशाह अकबर और बीरबल नगर भ्रमण के लिये गये। ठंडी का समय था तभी घूमते
घूमते एक तालाब के किनारे पहुंचे। अकबर ने बीरबल से कहा कि इस ठंडी में रात भर
कोई तालाब के बीचो-बीच में खड़ा रह सकता है। तब बीरबल ने हाँ हो सकता है कल देख
लेते हैं। दूसरे दिन ही बीरबल ने सारे नगर में एलान करवा दिया कि जो कोई भी
तालाब के बीचो-बीच एक रात खड़ा रहेगा। उसे मुंह मांगा इनाम मिलेगा। यह सुनकर एक
गरीब ब्रद्ध ने सोचा मरना तो है ही आज नहीं तो कल परंतु अगर जीवित बच गये तो
बादशाह से बहुत सारा धन मिल जायेगा। और मैं अपनी एकलौती बेटी का विवाह धूमधाम
से कर सकूँगा। यह सोचकर वह तुरंत बादशाह के पास गया। और बोला हुजूर में खड़ा रह
सकता हूँ। तो बादशाह हंस पड़े और बोले तुम तो जाते ही मर जाओगे। उसने कहा मरना
तो है ही आज नहीं तो कल और अगर जीवित रहा तो मैं अपनी बेटी का विवाह धूमधाम से
कर सकूँगा । इसलिये मैं ठान कर आया हूँ कि ये काम मैं जरूर करके दिखाऊँगा
कुछ भी हो जाए। यह सुनकर बीरबल ने कहा जहाँपनाह इसे एक मौका देना
चाहिये।
अकबर ने आदेश दिया और उस पर निगरानी रखने के लिये अपने दो सैनिक भी साथ में भेज दिये वो ब्रद्ध बीच तालाब में जाकर
खड़ा हो गया। जब मध्यरात्रि हुई तो ठंड बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी बृद्ध का
हाल खराब हो रहा था पर उसने हार नहीं मानी। और बीच तालाब में खड़ा रहा। जब काफी रात हो गयी तो अकबर ने बीरबल से
कहा चलो उसेे देखकर आते हैं कहीं वो आदमी मर तो नहीं गया। दोनों देखने के लिये
गये तो देखा वो आदमी बीच तालाब में खड़ा था। तभी अकबर की नजर एक दीपक पर पड़ी
जिससे रोशनी आ रही थी। उसने सोचा शायद इससे गर्मी मिल रही होगी। यह देखकर दोनों महल चले गये। धीरे-धीरे सुबह हो गयी। और
सबने देखा की ब्रद्ध आदमी जीवित है। वो आदमी खुशी-खुशी बादशाह के महल में
पहुंचा और सोचने लगा अब तो बहुत सारा धन मिलेगा। महल में दरबार लगा था। बादशाह
ने निर्णय लिया और घोषणा की कि ब्रद्ध आदमी इनाम पाने का हकदार नहीं है क्योंकि
जहाँ वो खड़ा था उसी के पास में एक दीपक जल रहा था जिससे वह गर्मी प्राप्त कर रहा
था और इसलिये वह जीवित रहा। यह सुनकर बेचारा ब्रद्ध निराश होकर घर आ गया। उसकी बेटी ने
पूँछा आप इतने निराश क्यों हो और आपको इनाम नहीं दिया बादशाह ने अपनी बेटी की इन बातों सुनकर वह रोने
लगा। बीरबल को इस बात का बहुत बुरा लगा। और उसने एक सोचा कि बादशाह को
सबक सिखाना चाहिये। दूसरे दिन बीरबल ने बादशाह को खिचड़ी खाने के लिये बुलाया।
अकबर को खिचड़ी बहुत प्रिय थी यह सुनकर अकबर ने दिनभर भोजन नहीं किया। शाम हुई तो
बीरबल ने खिचड़ी पकाने की तैयारी की। नीचे उन्होंनें भट्टी जलाई और हण्डी (जिसमें
खिचड़ी बनानी थी) को बहुत ऊपर टांग दिया। बहुत समय हो गया और खिचड़ी बनी नहीं अकबर को
जोर से भूँख लगी तो क्योंकि सुबह से उन्होँने भोजन नहीं किया था। वो जोर जोर से
चिल्ला रहे थे की खिचड़ी लाओ बीरबल बहुत जोरो की भूँख लगी है। खिचड़ी ना आते देख
अकबर ने सोचा जाकर तो देखें आखिर कर क्या
रहा है बीरबल। जाकर देखा तो अकबर के होश उड़
गये बोले ये क्या कर रहे हो बीरबल। हण्डी को इतने ऊपर टाँग रखा है उसे गर्मी ही
नहीं मिल रही होगी तो कैसे पकेगी खिचड़ी।बीरबल ने कहा जब इतने पास से हण्डी को
भट्टी की गर्मी नहीं मिल रही तो सोचो उस ब्रद्ध आदमी को उस छोटे से दीपक से कैसे
गर्मी मिल रही होगी। यह सुनकर अकबर को अपनी गलती का एहसास हुआ और अकबर ने बीरबल
से कहा सच कहा तुमने कल ही हम उस ब्रद्ध को बुलाकर उसे उसका मुंह मांगा इनाम
देंगे। फिर अकबर ने हण्डी को नीचे किया और खिचड़ी पकाई और दोनों ने प्रेम से
खाई। सुबह होते ही दरबार लगाया गया और आदेश दिया गया कि ब्रद्ध के साथ-साथ उसकी
बेटी को भी दरबार में बुलाया जाए हम दोनों को ही मुँह माँगा इनाम देंगे। दोनों
दरबार में आये और उस ब्रद्ध से कहा मांगो तुम्हें क्या चाहिये ब्रद्ध ने कहा
हुजूर मुझे अपनी बेटी का विवाह करना है तो मुझे कुछ धन चाहिये अकबर ने उसे बहुत
सारा धन दिया और यह भी घोषणा की कि मैं तुम्हारी बेटी की शादी का सम्पूर्ण आयोजन
करूंगा। उसके बाद उसकी बेटी से कहा गया की कि तुम्हें क्या चाहिये तो उसने कहा
मुझे कुछ नहीं चाहिये बस इतनी प्रार्थना है आपसे कि इस दरबार आज से कभी भी किसी
के साथ किसी भी प्रकार का कोई अन्याय न हो सभी को उचित न्याय प्राप्त हो। जैसे की
आज हमें उचित न्याय प्राप्त हुआ है। उस लड़की की बात सुनकर सभी बहुत खुश हुये। अकबर ने
कहा हाँ अब से बिल्कुल ऐसा ही होगा। दोनों खुशी खुशी घर आये और उनकी गरीबी दूर
हुई ब्रद्ध ने अपनी बेटी का विवाह बहुत धूमधाम से करवाया।
Nice
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